Monday, December 9, 2013

अंडर कर्रेंट

अंडर कर्रेंट
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अनुमान जो लगाये गए उससे अलग ,एक दल के पक्ष में  प्रत्याशा से भी अधिक अच्छे चुनाव परिणाम आये . कहा जा रहा है यह इस राजनैतिक दल के एक विशेष व्यक्ति की उपलब्धि है . यह भी कहा जा रहा है कि युवाओं में उनका विशेष आकर्षण है .

लेख अराजनैतिक है नाम उल्लेखित किये बिना ही लिखा . किसी राजनैतिक दल का समर्थन या विरोध भी नहीं और किसी व्यक्तिविशेष को महिमामंडित करना भी नहीं. अभिप्राय मात्र यह कि  अंतरप्रवाह (अंडर कर्रेंट ) की शक्ति को सहमत किया जाये . वह भी तब जबकि ऐसा अंडर कर्रेंट जो युवाओं में प्रवाहित होता है . प्रत्याशा से अधिक समर्थन इसलिए दिखा कि समीक्षकों ने युवाओं का उस दल को समर्थन भाँप कर अनुमान लगाये थे . उन्होंने युवाओं के मत गणना में लिए थे . यह चूक उनसे हो रही थी कि उन्हें युवाओं का वह परिवार जिसके वे सदस्य हैं ,नहीं दर्शित हो रहे थे . युवा जब किसी बात को कर गुजरने को तत्पर होते हैं तो अपने उत्साह ,उमंग से वह शक्ति प्राप्त करते हैं जिससे उनके पक्ष में परिजनों का भी मत हो जाता है . मतों का दल के पक्ष में बढ़ना इसी बात को धोतक है . स्वयं युवा ने तो दिया ही परिवार के मत को भी दल के पक्ष में प्रभावित कर दिया .परिणाम अन्य दलों के लिए अप्रत्याशित रहे , वे निराश भी हुए .

वर्त्तमान राजनैतिक परिदृश्य के उल्लेख से अपनी अराजनैतिक बात यह कहनी है कि जिस बात से किसी भी पीढ़ी के युवा प्रभावित और सहमत होते हैं उसका असर क्रांतिकारी परिणामों का कारण बनता है . आज का भारतीय युवा पाश्चात्य का पक्षधर है क्योंकि फ़िल्म /टेलीविजन और नेट पर जीवन का जो ताना -बाना उसके समक्ष खींचा जा रहा है उसमें भौतिकता (और  आडम्बर ) की प्रधानता है . साथ ही जिन परिवार के ये युवा सदस्य हैं उनमें से अधिकतर परिवार में अपनी संस्कृति और अच्छाई की महत्ता /महिमा का कोई विचार /चर्चा और आदर्श नहीं हैं .

फिल्मों,  टेलीविजन और नेट पर एक पक्षीय तरीके से पाश्चात्यता को ही जीवन लक्ष्य /जीवन सार्थकता  प्रतिपादित कर दिया गया . दूसरा पक्ष (हमारे संस्कार /संस्कृति और आदर्श ) इनपर अनुपस्थित रहे हैं . आज अधिकतर युवाओं ने भौतिकता ही देखी और समझी है . स्वयं भौतिकता के पीछे हो लिए और परिजनों को भी उसी तरह सोचने ,विचारने को सहमत कर लिया .पिछले तीस -चालीस वर्षों में प्रभाव हम सबने देखा,   देश में पश्चिमीकरण के रूप में बेहद तीव्रता से परिवर्तित होने का  .

अगर देश में से बुराई कम करनी है . अपनी साँस्कृतिक विरासत सुरक्षित करनी है ,उस भव्य विरासत की छत्रछाया में मनुष्य जीवन को उल्लास ,अभिप्राय और सार्थकता से जीना है तो युवाओं के ह्रदय और मन में वह बीज डालना होगा जिसमें भारतीयता की महिमा का अनुभव होता है . इसके लिए उन्हें वह दिखलाया जाना होगा जिसमें जीवन सार्थकता और आनंद सिर्फ भौतिकता (भ्रम) में ना दर्शित होता हो . भौतिकता का मनुष्य जीवन में एक सीमित महत्व होता है यह स्पष्ट करना होगा .

अगर ऐसा कर सके तो सामाजिक बुराई कम की जा सकेगी , समाज हित सुनिश्चित होगा और मानवता की रक्षा होगी .

-- राजेश जैन
09-12-2013

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