Monday, December 9, 2013

माँ

माँ
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माँ , कितने लिख चुके
माँ , कितने कह चुके
माँ , कितने दिखा चुके
माँ , ये सब अधूरे हैं

माँ , तुमने किया जो
माँ ,तुमने दिया जो
माँ , तुमने जिया जो
माँ , वो बेमिसाल है

माँ ,साहित्य लिखा गया
माँ, भाषा लिखी गईं
माँ ,चित्राकंन किये गए
माँ , अपर्याप्त रहे हैं

माँ , तुम ही चरित्र हो
माँ ,तुम ही त्यागी हो
माँ , तुम ही मानव हो
माँ, तुम ही भगवान हो

माँ ,भगवान लिखा तुम्हें
माँ, मानवता कहा तुम्हें
माँ, पूज्यनीय कहा तुम्हें
माँ , तो भी कसर शेष है

--राजेश जैन
10-12-2013

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