Monday, November 4, 2013

ये व्यवस्था हमारी ही हैं

ये व्यवस्था हमारी ही हैं
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दृष्टि शिकायती ही ना रह जाए . व्यवस्था के लिए और स्वयं के लिए यह हितकर नहीं . दो दिन बेटी के साथ पुणे प्रवास पर था . रात्रि 11.25 बजे पहुँचा था लम्बे सफ़र की थकान और पुणे बहुत बार गया भी नहीं था . रात्रि के उस समय हिम्मत नहीं हो पा रही थी ,सामान और बेटी सहित होटलों को भटकूँ . पूछताछ में पता हुआ रेलवे विश्रामालय में एसी कक्ष उपलब्ध है किन्तु 1 घंटे बाद बुक हो पायेगा . अभी बुकिंग साईट अवेलेबल नहीं होती है . हमने प्रतीक्षा की और फिर लगभग एक बजे कक्ष में पहुँच सके . रूम बहुत अच्छा था थोड़ी सफाई की कमी के अतिरिक्त सब बहुत अच्छा था .

 दूसरे दिन मुझे रात्रि के लिए अकेले ठहरना था ज्ञात हुआ की मेरी आने की टिकट पर आगे बुकिंग नहीं हो सकती और एसी कक्ष अब उपलब्ध नहीं है .नई टिकट पर बुकिंग तो हो सकती है पर एसी डॉरमेट्री में उपलब्धता है . मेरी सहमति पर एसी डॉरमेट्री में बुकिंग करते समय ही स्टेशन मास्टर (वाणिज्य ) ने अवगत कराया , इसमें कभी खटमल की शिकायत भी होती है . मैंने दूसरी व्यवस्था करने के स्थान पर इस समस्या को देखेंगे सोच कर बुकिंग करा ली .

दूसरे दिन पूणे से निकलने के पूर्व दो मिनट का समय देकर मैंने ड्यूटी स्टेशन मास्टर (वाणिज्य ) को अवगत कराया कि जैसी चेतावनी बुकिंग के समय दी गई थी वैसा नहीं है ,मुझे रात्रि विश्राम में खटमल समस्या देखने नहीं मिली . सुनकर उनके चहरे पर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता स्पष्ट झलक रही थी . उन्होंने मुझे धन्यवाद कहा और बताया कि हम हर दो -चार दिनों में खटमल ट्रीटमेंट करते हैं किन्तु ऐसा फीडबैक हमें मिलता नहीं है .

वापिस आते समय मै सोच रहा था . नौकरी पेशा ये भी हमारे ही अपने हैं . इन तक सिर्फ हमारी शिकायत ही क्यों पहुँच पाती हैं . ये व्यवस्था भी हमारी ही हैं . कोई समस्या है तो दोनों ही ओर से सकारात्मक दृष्टिकोण से उन्हें हम ही सुलझा सकेंगे , अन्यथा कोई अन्य इन्हें सुधारने क्यों आएगा . आये भी तो क्या हमारे स्वाभिमान को ऐसा स्वीकार्य होना चाहिए  ?

--राजेश जैन
05-11-2013
 

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