Wednesday, November 6, 2013

कविता

कविता
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कविता जब नाम नारी का
बूढी होती जैसी सबकी बारी
कविता है जब शब्द पंक्तियाँ
स्वरूप सदैव नव-यौवना का

कविता है अजब पहेली
बूढी होकर नारी कविता
जब रचती कोई कविता
बनती वह नवयौवना ही 

साहित्य का नारी रूप कविता
सम्मानित ज्यों साहित्य में
मानव में नारी कविता हमें
रचना अब है पुरुष सक्षम सा

--राजेश जैन
06-11-2013

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