Thursday, November 7, 2013

जीवन अनुसन्धान

जीवन अनुसन्धान
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जीवन पाकर , क्या है जीवन ,क्यों मिला जीवन , कैसे जियें जीवन ? और भी जीवन के अर्थ खोजते .. अन्य प्राणियों की तो नहीं कह सकते किन्तु मनुष्य जिसे उन्नत विचारशील मस्तिष्क मिला है , वह अनादि काल से इस हेतु अनुसन्धान करता आया है . और ऐसे अनंत मनुष्य तब से अपने मिले मनुष्य जीवन के पचास से सौ वर्षों (पंद्रह से बीस वर्ष तो सामान्यतः मस्तिष्क विकसित होने में लगता है ) तक अधिकतम "जीवन सुख " पाने के विभिन्न मार्ग तलाशता आया है।

किसी ने
* कला - साधना में
* धर्म में लीनता में
* भोग-उपभोग पाने में
* वैभव -सम्मान बटोरने में
* विज्ञान शोध में
* भौतिक ज्ञान बढाने में
* दुनिया और अंतरिक्ष में भ्रमण और खोज में
* समाज -व्यवस्था बनाने में
* चिकित्सा -सुविधा साधन आविष्कारों में
* आजीविका संघर्ष में
* और कुछ और तरीकों में

अपना मनुष्य जीवन लगाया . कुछ ने  जीवन के अलग अलग अवस्था में इनमें से कुछ मार्ग का अनुशरण किया . जीवन तो सभी का एक आयु तक पहुँचने के बाद पूरा हुआ या हो जाएगा .

जीवन जब समाप्ति पर आया /आएगा .. मिले जीवन सुख से तृप्ति किसे ज्यादा रही/होगी इस पर विस्तृत चर्चा  की जाए तो आशा है - बहुतों के शेष जीवन का मार्ग परिवर्तन और इस तरह जीवन-समाज निर्माण ,  सुख-शांति और स्वच्छता में सहायता मिल सकती है .

शालीन कमेंट्स आमंत्रित हैं ...

--राजेश जैन
08-11-2013

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