सामाजिक दायित्व समझते तो
मदिरा कतार में न लगे होते
अपने साथ औरों की जान लेने
यमराज के दूत न बने होते
बच ना पाने की नाउम्मीदी तो नहीं
जो वाइन शॉप पर लंबी कतारें हैं
लगता कि मर के शायद ना मिले
स्वर्ग को जीते जी भोगना चाहते हैं
मदिरा कतार में न लगे होते
अपने साथ औरों की जान लेने
यमराज के दूत न बने होते
बच ना पाने की नाउम्मीदी तो नहीं
जो वाइन शॉप पर लंबी कतारें हैं
लगता कि मर के शायद ना मिले
स्वर्ग को जीते जी भोगना चाहते हैं
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