Friday, May 24, 2019

पराया, कैसे अपना बने

पराया, कैसे अपना बने 

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जिन्होंने लगभग 25 वर्ष पूर्व मध्य प्रदेश की सड़कों पर बस और अपने निजी वाहनों से यात्रा की हैं उन्हें याद होगा कि तब प्रदेश में किसी जिले में सड़कें अच्छी और किन्हीं में बेहद खस्ताहाल थीं। ऐसा प्रचारित था कि जहाँ जहाँ चुने प्रतिनिधि सत्ता दल के थे वहाँ की अच्छी और जहाँ नहीं, वहाँ की सड़कें ख़राब थी। इसी तरह बिजली की कटौती भी वहाँ कम थी जहाँ सत्ता दल के चुने प्रतिनिधि थे। विरोधी मत के नागरिकों से बदला लेने की यह एप्रोच दूरगामी विपरीत परिणाम वाली होनी थी।
इसके विपरीत भारत में जो दल 2014 में सत्तासीन हुआ उसकी पूर्वोत्तर राज्यों में पैठ न बराबर थी। किंतु सरकार ने वहाँ इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास पर गंभीरता से काम किया। विरोधी मत वाली जनता से बदले का भाव नहीं दर्शाया। परिणाम आज देखने मिला है इस दल ने लगभग पूरे भारत में अपना अस्तित्व प्रदर्शित किया है।
मौजूदा सरकार ने सत्ता लोभ में नहीं अपितु भारत के समक्ष कश्मीर और वहाँ के आतंकवाद की गंभीर समस्या के हल के लिए ऐसे दल का साथ किया जिसका अंदरूनी एजेंडा अलगाव का था। ऐसा करते हुए उसे उम्मीद थी कि साथ मिल-बैठ कर वार्ता से नफ़रत को मोहब्बत में बदलने के मौके होंगे। कश्मीरियों का हित भारत में ही सुनिश्चित है यह पैगाम दे सकेंगे। इस हेतु वहाँ के इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास पर बहुत व्यय किया गया। इससे उम्मीद थी कि वहाँ के युवाओं को रोजगार के अवसर होंगे। और रहवासियों के जीवन स्तर में सुधार से वहाँ खुशहाली होगी। लेकिन उस क्षेत्रीय दल ने अपने सत्ता सुख हमेशा बनाये रखने के लालच में अलगाव वादियों को गुप्त रूप से मदद जारी रखी। परिणाम आतंकवाद वहाँ कायम रहा। विकास अवरुद्ध हुआ।
निष्कर्ष मात्र इतना है - पराये को अपना बनाने के लिए किसी बदले की भावना यह अति स्वार्थ लोलुपता कारगर नहीं होती। बल्कि परायेपन अगर है तो अपनी ओर से अपनापन की शुरुआत करने से होती है. इसके लिए जरूरी है सरकार तो ऐसा करे ही क्योंकि उस पर सारे देश और सारे नागरिकों के हित रक्षा का दायित्व है। साथ ही इसे जनता को भी समझना चाहिए कि जो सरकार सबका साथ सबका विकास के अपनत्व के भाव से काम करती है , उसे अपनी ओर से अपनापन दे। कोई राष्ट्र सुदृढ़ तब होता है जब वहाँ की सरकार समग्र नागरिकों के हित पर कार्य करती है, और वहाँ के नागरिक अपने लिए हासिल करने के साथ साथ राष्ट्रहित में राष्ट्र के लिए अपना कुछ देने को तैयार होते हैं। ऐसा अपनत्व सरकार का नागरिकों के प्रति और नागरिकों का देश के प्रति होना अपेक्षित होता है। 

-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
25-05-2019

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