लिखने का मेरा लक्ष्य ज़माने को पढ़ाना नहीं
खुद पढ़कर समझने की कोशिश करता हूँ कि
मेरे भीतर का इंसान मरा तो नहीं
गर अपने सिर पर चढ़े जूनून उतार फेंके तो
बिंदास हम जी सकते हैं, जूनून बोझ होते हैं
खुद पढ़कर समझने की कोशिश करता हूँ कि
मेरे भीतर का इंसान मरा तो नहीं
गर अपने सिर पर चढ़े जूनून उतार फेंके तो
बिंदास हम जी सकते हैं, जूनून बोझ होते हैं
No comments:
Post a Comment