वक़्त, कुछ लम्हे किसी दीवानगी में रंग दिया करता है
वक़्त की धूप, ज़िंदगी में से वह रंग उड़ा दिया करती है
दीवानगी ने ज़िंदगी में करीब ला दिया होता है जिनको
दीवानगी जहाँ ख़त्म वहाँ उनमें फ़र्ज़ की शुरुआत होती है
मेहबूब तेरे जाने ने शायर बना दिया
मेहबूब तेरी अब हमें जरूरत क्या है
वक़्त की धूप, ज़िंदगी में से वह रंग उड़ा दिया करती है
दीवानगी ने ज़िंदगी में करीब ला दिया होता है जिनको
दीवानगी जहाँ ख़त्म वहाँ उनमें फ़र्ज़ की शुरुआत होती है
मेहबूब तेरे जाने ने शायर बना दिया
मेहबूब तेरी अब हमें जरूरत क्या है
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