Wednesday, May 1, 2019

ज़िंदगी के पर्चे में कई सवाल और विकल्प जबाब थे
अब जाँच रहे हैं कि हमने कितने विकल्प ग़लत चुने

ख़्वाहिश नहीं कि मेरी मय्यत में भीड़ का सैलाब लगे
गर दो अश्क़ तन्हाई में तुम बहाओ ये मेहरबानी होगी

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