Tuesday, September 26, 2017

जी हाँ - मैं एक पुरुष हूँ ...

जी हाँ - मैं एक पुरुष हूँ ...
लेखन में समाहित विचार और भावना - उस पुरुष के हैं जो अपना पूरा जीवन नारी के साथ , के सहायता के साथ और उनका आभार मानता हुआ जीता है। परिवार में नारी सदस्या - हमारी दादी /माँ /बहन /पत्नी /बेटी /बहू और भी अन्य रिश्तों में हैं - उनके साथ जीवन यापन करते हुए - उनकी अपेक्षा ,उनकी भावना और उनकी मनःस्थिति को नहीं समझ सकूं , तो मैं कुछ भी हो सकता हूँ - एक मनुष्य कतई नहीं। इतना पढ़ने के बाद आप यह भूल भी नहीं कर बैठना कि मुझे उत्तम मानना - हाँ यह सच अवश्य है कि ये आदर्श जब तब मेरे हृदय /मन पर हावी होकर मुझे कुछ भला बनाये रखते हैं.
एक पुरुष जब इतना सोच सके तब वह पारिवारिक / सामाजिक /राष्ट्र और एक मनुष्य जीवन की अपेक्षाओं को पूरा करता है। ऐसा पुरुष नारी ही नहीं किसी पुरुष या प्राणी मात्र पर कोई अत्याचार नहीं करता।
नारी के साथ न्यायपूर्वक रहने का परिणाम उसे संपूर्ण प्राणीमात्र और संसार के प्रति न्याय से रहने की प्रेरणा और उत्साह देता है।
-- राजेश जैन
27-09-2017
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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