Wednesday, September 13, 2017

तर्क


तर्क-
भारत में बौध्दिक स्तर में काफी असमानता है। इसलिए कोई तर्क कितना भी सही क्यों न हो , इस तथ्य को ध्यान में रख कर ही प्रचारित किया जाना चाहिए कि वह विभिन्न लोगों में किस तरह प्रतिक्रिया का विषय होगा। देश एवं समाज में इससे अराजकता या वैमनस्य तो नहीं उपजेगा। सच्चा तर्क देने वाला बुध्दिजीवी भी तब तक समाज - सौहाद्र निर्माता नहीं हो सकता , जब तक वह अपने तर्क के साथ के खतरे को नहीं परखता। ऐसा बुध्दजीवी सिर्फ अपने को चर्चा में तो रख सकता है। किंतु राष्ट्र निर्माण में उसका योगदान सार्थक नहीं हो सकता। जहाँ तक चर्चित होने की बात है , चर्चित तो आज पॉर्न सेलिब्रिटी भी हैं। जो जीवन में सिर्फ भोग के पोषक होते हैं। भोगियों को इतिहास भुला देता है और सर्वहित में त्याग करने वाले को अमर करता है।
--राजेश जैन
13-09-2017

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