Thursday, March 21, 2019

नाजायज ख्याल होते हैं - ज़ायज व्यव हार होते हैं
समाज मर्यादा में रहते - उनके गले में हार होते हैं

कोई चाहता है तुम्हें कितना - तुम्हें अंदाज रहता है
तुम चाहो या न चाहो उसे - वह नज़र अंदाज करता है

इस कदर किसी के दिल में तुम क्यूँ समाते हो
उसकी ज़िंदगी है उसे खुद के लिए तो जीने दो 

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