ख़ुद की गलती पर अपनी बुध्दि पर तरस नहीं आता है
मगर
उसकी गलती पर हमें उस पर बहुत गुस्सा आ जाता है
ज़िंदगी में बहुत अरसे तक - अक्ल आधी आई रहती है
अपनी गलती समझ न आती - औरों में दिखाई देती है
सबसे अलग हम कैसे हो सकते हैं
जब
मान और प्रशंसा से हम भी खुश होते हैं
मगर
उसकी गलती पर हमें उस पर बहुत गुस्सा आ जाता है
ज़िंदगी में बहुत अरसे तक - अक्ल आधी आई रहती है
अपनी गलती समझ न आती - औरों में दिखाई देती है
सबसे अलग हम कैसे हो सकते हैं
जब
मान और प्रशंसा से हम भी खुश होते हैं
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