Tuesday, March 19, 2019

मालूम नहीं फिर यह वक़्त होगा न होगा
कि ज़िंदगी की हक़ीक़तें तुम से बयां करें
जब वक़्त तुम्हें होगा
फ़ना हम हो चुके होंगे

मजबूर कर के तुम को यही बस हम पायेंगे
अपराध बोध लिए इक दिन चले हम जायेंगे

बच्चे बड़े होकर तुम्हें - जॉब को जाना होगा
दुनिया यही होगी - पर आँगन मेरा सूना होगा 

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