Sunday, November 30, 2014

गौरवशाली जीवन

गौरवशाली जीवन
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जन्मा था माता पिता की आशा बन कर
जिया कर्तव्य पूर्तियों में ही लीन रह कर
अंत हुआ गौरवशाली मेरे इस जीवन का
आजीवन समाज परिवार रक्षक रह कर

त्रियासी वर्ष जीवनयात्रा दीर्घ होती है
कामना तब भी जीने की शेष होती है
बच्चों ,समाज के लिए और करने की
अपूर्ण इक्छा बीच मेरी मृत्यु होती है

चार महीने शरीर और मानसिक वेदना में
देखा सेवारत पत्नी व बच्चों को संवेदना में
संतोष मुझे यद्यपि उनका साथ छूट रहा है
अश्रु विलाप से उनके डूबता ह्रदय वेदना में

हितैषी आ आकर सहानुभूति जतलाते रहे
उदबोधनों से श्रध्दांजलि अर्पित करते रहे
गौरवशाली मेरे जीवन के बखान में लगता
मृत्यु पर समुचित शब्द न उन्हें सूझते रहे

न्याय नैतिकता और करुणा से भरपूर जीवन
देश समाज परिवार को समर्पित मेरा जीवन
अनुभव करते तसल्ली और गंभीरता से यदि
वे शीर्षक रचते एक काव्य गौरवशाली जीवन

आज जिनकी वासनाओं का अंत नहीं है
आज जिनकी कामनाओं की सीमा नहीं है
सब स्वार्थी ऐसे प्रचारित हो रहे राष्ट्र गौरव
आज सादे जीवन में गौरव देखें मंशा नहीं है

दीर्घ जीवन में परिवर्तन की कहानी देखी
उत्कृष्ट से पराभव की बनती कहानी देखी
स्वार्थ और संकोचों में मुझे मिला न साथ
तजना वह रीत बनी घिनौनी कहानी देखी

अनेक जीते ख़ामोशी में गौरवशाली जीवन
न है दुःख न समझा मेरा गौरवशाली जीवन
दुःख है निर्मम और व्यभिचार के प्रतीकों का
प्रचलन अब बताया जाता गौरवशाली जीवन

अनेक गए वैसी चिरनिद्रा में मै चला गया
साथ मेरा अपूर्ण वह सुस्वप्न चला गया
जिसमें सजता था एक सर्वसुखी समाज
स्मरण रखना एक और बुजुर्ग चला गया

आभार सभी का दिया साथ दृढ रह कर
क्षमा सभी से कभी कष्ट हुआ साथ दे कर
अंत हुआ गौरवशाली मेरे इस जीवन का
आजीवन समाज परिवार रक्षक रह कर

--राजेश जैन
30-11-2014

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