ज़िंदगानी
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दिखते जरूर तनहा हैं हम मगर
विचारों के जलसे करना आता है
दिख सकते हैं उदास कभी हम मगर
पीड़ितों की उदासी दूर करना भाता है
ना जाना उदासी या तन्हाई पर मेरी
ख़ुशी निकालना ऐसे ही मुझे आता है
फटेहाल गर दिख जाऊं न गम करना
भीतर मानवता ऊपरी से नहीं नाता है
न करना ऐतबार कहा जाऊँ असफल मैं
ऐसा असफल जीवन सार्थकता लाता है
सात हजार दिन ज़िंदगानी बची मेरी
दिल नारी चेतना के ही गीत गाता है
--राजेश जैन
28-11-2014
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दिखते जरूर तनहा हैं हम मगर
विचारों के जलसे करना आता है
दिख सकते हैं उदास कभी हम मगर
पीड़ितों की उदासी दूर करना भाता है
ना जाना उदासी या तन्हाई पर मेरी
ख़ुशी निकालना ऐसे ही मुझे आता है
फटेहाल गर दिख जाऊं न गम करना
भीतर मानवता ऊपरी से नहीं नाता है
न करना ऐतबार कहा जाऊँ असफल मैं
ऐसा असफल जीवन सार्थकता लाता है
सात हजार दिन ज़िंदगानी बची मेरी
दिल नारी चेतना के ही गीत गाता है
--राजेश जैन
28-11-2014
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