Tuesday, November 4, 2014

फेसबुक और नारी

फेसबुक और नारी
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फेसबुक एक ऐसा अनुपम बैठे बिठाये नई जनरेशन को दुनिया से इंटर - एक्टिवली जुडने का साधन मिला है. इसने बड़ी सी इस दुनिया को छोटा कर दिया है।
विज्ञान के दिए हर आविष्कार और साधन मनुष्य सुविधा और जीवन आनंद के लक्ष्य से लाये जाते हैं।  फेसबुक भी इसका अपवाद नहीं है.

लेकिन जिस दुनिया में आठ अरब से अधिक मनुष्य रहते हैं।  उसमें अच्छी वस्तु के भी हानिकारक प्रयोग के रिवाज हो जाते हैं।  रचनात्मक उपलब्धियों के लिए विशाल स्कोप जिस फेसबुक में है। उसका प्रयोग एक दूसरे के अहित के लिए भी किया जा रहा  है। दूसरा हमारे अहित का प्रयास करे यह तो होता है , किन्तु अनजाने में हम  स्वयं ही अपना अहित कर रहे हैं। पेज नारी चेतना का है इसलिए नारी किस तरह फेसबुक से स्वयं के लिए समस्यायें बढ़ा रही हैं उस पर छोटी  एक चर्चा इस लेख के माध्यम से रखने का प्रयास है।

1. फेसबुक पर नये -नये फोटो अपलोड कर गर्ल्स अपनी प्रशंसा से खुश होती हैं। जबकि उन्हें मालूम नहीं कि मानसिक ग्रंथि के शिकार फोटोशॉप से चेंज कर कहाँ कहाँ उसे प्रदर्शित करते हैं और उनपर किन किस्मों के घटिया कमेंट्स दर्ज किये जाते हैं।

2. फेक id के साथ गर्ल्स से संपर्क बढ़ा कर , रोगी मानसिकता वाले उनसे प्यार का स्वांग कर ब्लैकमेल भी करने लगते हैं।

3. बेकार की बातों पर चर्चा में पड़ गर्ल्स अपना समय और दिमाग (घटिया कमेंट्स से आहत हो ) ,ख़राब करती हैं। जिससे उनकी पढाई प्रभावित होती है।

सारी ये बातें लेखक के अपने अनुमान हैं जो फेसबुक प्रयोग के बीच ही समझे गए हैं । अब  फेसबुक के प्रयोग का एक दशक बीत रहा है। नारी ने स्वयं कई तरह के छल इस पर निश्चित अनुभव किये हैं. फेसबुक के प्रयोग में थोड़ा चेंज लाकर गर्ल्स यदि फोटो और हलके हँसी -मजाक की पोस्ट के स्थान पर अपने अनुभवों के आधार पर इस तरह की पोस्ट लाएं , जिससे नई आ रही गर्ल्स को सतर्क कर उन पर आशंकित छल और शोषण से बचाया जा सके तो यह अच्छी वस्तु का अच्छा प्रयोग सिध्द हो सकता है।

ऐसा करने पर नारी शोषण की घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।  साथ ही घर बैठे ही परोपकार का पुण्य भी अर्जित किया जा सकता है।  वास्तव में नारी में  चेतना और उनका सम्मान , नारी के स्वयं के महत्वपूर्ण योगदान के बिना हासिल नहीं हो सकता है।

नारी जब अपने अनुभव आधारित कुछ पोस्ट करें तो एक संभावना को ध्यान में अवश्य रखे जिससे कोई उन्हें ही बदनाम करने का प्रयास ना कर सके।  अतः स्व-अनुभव में अपनी कल्पनाशक्ति से पोस्ट को लघुकथा और लेखकीय या काव्यात्मक रूप में रखे तो बेहतर रहेगा। इससे नारी चेतना  जागृति के साथ ही स्वयं में सृजनशीलता गुण विकसित हो सकता है।

--राजेश जैन
04-11-2014

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