Sunday, March 16, 2014

होली पर हावी उदासीनता

होली पर हावी उदासीनता
------------------------------

सुबह सैर निकलते बोली मुझसे रचना
होली है  तुमने अच्छा वस्त्र क्यों पहना

स्मित ला राजेश बोले सुनो मेरी गहना
प्रातः मिलेंगे कुत्ते सड़कों पर होगा सूना

कुत्ते न खेलते होली तुम चिंता न करना
सूनी सुबह रिज रोड मैं हूँगा उदास मना 

मन पर आ बसता कुत्ता ले होली बहाना
संभ्रांत न रहा खेल रूचि नहीं अब रंगना

-- राजेश जैन





No comments:

Post a Comment