होली पर हावी उदासीनता
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सुबह सैर निकलते बोली मुझसे रचना
होली है तुमने अच्छा वस्त्र क्यों पहना
स्मित ला राजेश बोले सुनो मेरी गहना
प्रातः मिलेंगे कुत्ते सड़कों पर होगा सूना
कुत्ते न खेलते होली तुम चिंता न करना
सूनी सुबह रिज रोड मैं हूँगा उदास मना
मन पर आ बसता कुत्ता ले होली बहाना
संभ्रांत न रहा खेल रूचि नहीं अब रंगना
-- राजेश जैन
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सुबह सैर निकलते बोली मुझसे रचना
होली है तुमने अच्छा वस्त्र क्यों पहना
स्मित ला राजेश बोले सुनो मेरी गहना
प्रातः मिलेंगे कुत्ते सड़कों पर होगा सूना
कुत्ते न खेलते होली तुम चिंता न करना
सूनी सुबह रिज रोड मैं हूँगा उदास मना
मन पर आ बसता कुत्ता ले होली बहाना
संभ्रांत न रहा खेल रूचि नहीं अब रंगना
-- राजेश जैन
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