Friday, February 21, 2020

ज़िंदगी समझ लिया तुझको
जीने की विशेष कोई चाह न रही
ज़िंदगी बनी अनुसंधान मेरा कि
कैसे वे जियें, जिनके तू जीने लायक न रही

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