तेरी दुनिया है कुछ दिनों की
क्या हिंदू, क्या मुसलमान
जी ले यहाँ तू इस तरह से कि
बना रहे तेरा, उनका स्वाभिमान
अच्छा ही हुआ कि भ्रम, बनते टूटते रहे न रहते कुछ भ्रम तो 'राजेश' जीना कठिन होता
जीतना पसंद था हारना भी मंजूर रहा मुझे खेल बड़ा था या छोटा इज्जत का प्रश्न न बनाया मैंने
देखे मैंने, रचे कीर्तिमान सब टूटते जाते थे कि रचूँ कोई कीर्तिमान तनाव लिए बिन, बिंदास मैं जीता रहा
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