Thursday, September 12, 2019

इन हँसने की चाह रखने वालों को
खेद, मालूम नहीं कि हँसना कहाँ हैं
जिन बातों पर मानवता रो पड़ती है
खेद, उनमें भी इन्हें हँसी आ जाती है

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