Wednesday, September 11, 2019

बँटवारे से सीखा सबक हमने

बँटवारे से सीखा सबक हमने
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कामुकता के तुम हुए अधीन
हत्या तक की दुष्टता की तुमने
कैसे कहें हम तुम्हें पुश्तें अपनी
हमें नफरत आग में झोंक दिया तुमने

हमें, 'दुष्ट' तुम्हारी औलाद नहीं कहलाना है
हमें इंसानियत की राह पर जाना है
हमें, नफरत का जो दिया इतिहास तुमने
हमें, उसे त्याग राह ए मोहब्बत पर बढ़ जाना है

हम पढ़ लिख रहे आज ज्यादा हैं
बैर वैमनस्य मुक्त हमें होना है
जो कलंक लगा बँटवारे समय में
उसे अपने माथे पर से धो देना है

कट्टर जो नासमझ की कसम देता है
हमें उसके भडकावों में नहीं आना है
यह देश, यह समाज हमारा है
हमें, खोई भव्य विरासत फिर पाना है

तुमने लगाई नफरत की आग फिजा में
हमें मोहब्बत की धार से बुझा देना है
बँटवारे से सीखा है सबक हमने
हमें दुष्ट नहीं अब इंसान बनना है

भूल करने का है इतिहास तुम्हारा
हमें भूल सुधार का कीर्तिमान रचना है


-- राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन 
12-09-2019

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