Tuesday, May 9, 2017

रूही-जूही ..


रूही-जूही ..
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जुड़वाँ बहनें हैं ,रूही-जूही। शायद भगवान द्वारा गढ़ने का समय सुबह चार बजे का होगा। जूही को अंधकार की कालिमा , और रूही को भौर का स्वर्णिम वर्ण मिला था। अँधेरे में किये कार्य की त्रुटियाँ जूही के , और उजाले की उत्पत्ति - परिपूर्णता रूही के नयन-नक्श पर दर्शित थी. सुंदरता में अंतर के होते हुए भी मम्मी -पापा के लाड-दुलार में रूही-जूही के लिए कभी कोई अंतर नहीं था। थोड़ी बड़ी होने पर रूही-जूही जब थोड़ा समझने लगीं , तब बाहरी लोगों की रूचि रूही में और उपेक्षा जूही में , दोनों अनुभव करने लगीं। जूही इस बात से उदास सी होती , जिसे रूही अनुभव कर बहन के लिए दुःखी होती थी । और थोड़ी बड़ी हुई तो रूही को लोगों के अपने प्रति आकर्षण में उनकी नीयत का खोट दिखाई देने लगा। तब कई बार उसके मन में रूप वरदान है या अभिशाप इस पर संशय रहा करता था।
ग्यारहवीं क्लास में रूही ने बाटनी (वनस्पति विज्ञान) में पौधों के बारे में पढ़ा - कि पौधों के द्वारा कार्बनडाय ऑक्सीइड लेने और ऑक्सीजन छोड़ने के कारण प्राणी जगत के लिए ,पौधे -वृक्ष उपयोगी होते हैं। इस जानकारी को रूही की कुशाग्र बुध्दि ने अपने और जूही की समस्या से लिंक कर लिया। रूही को प्रतीत हुआ कि गुलाब का पौधे की यूँ तो उपयोगिता कार्बनडाय ऑक्सीइड लेने और ऑक्सीजन देने से ज्यादा है। लेकिन लोग उसमें खिले सुंदर फूलों के लिए लगाते हैं। और बाहरी लोग पौधे पर निखर आये सुंदर फूलों को नोच-तोड़ लेने की टोह में रहते हैं।
रूही ने एक दिन जब जूही को उदास देखा तब उसे इस प्रकार से समझाया -
देखो जूही , जिस तरह गुलाब के पौधे पर सुंदर पुष्पों का होना जिस प्रकार से अस्थाई होता है , वैसे ही सुंदर नारी की सुंदरता भी अस्थाई ही होती है। जिस प्रकार माली के लिए गुलाब के पौधे सुंदर पुष्पों के होने या न होने पर भी समान महत्व के होते हैं। उसी प्रकार जो अपने होते हैं उन्हें हमारा सुंदर होना या न होना अप्रिय नहीं होता। जो बाहरी लोग सुंदरता के पुजारी हैं वे उस दिन तक ही हमारे आसपास मंडराते हैं जब तक हम पर यौवन और रूप होता है। लोगों की इस प्रवृत्ति से अप्रभावित हो हमें मनुष्य होने के वरदान को समझना चाहिए। और जीवन में योग्यता हासिल करना प्रमुख करते हुए - बुराइयों से अप्रभावित रह अपना योगदान परिवार और समाज की अच्छाइयों के लिए करना चाहिए। यही मनुष्य होने की उपयोगिता होती है।
--राजेश जैन
10-05-2017
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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