Thursday, May 25, 2017

विश्वास के रिश्ते की बुनियाद ...

विश्वास के रिश्ते की बुनियाद ...

पड़ोस के मुस्लिम परिवार की छह -सात वर्षीया बेटी ने उसे सुबह वॉक पर से वापिस आते हुए , रोक बताया था कि पापा बाहर गए हैं और मम्मी की रात भर से तबियत ठीक नहीं , सोईं नहीं हैं। अभी आता हूँ , कह कर वह घर तक आया और पत्नी से बताया पत्नी ने कहा , उस बच्ची के कहने पर उनके घर जाना ठीक नहीं , मालूम नहीं क्या सोचे? वह नहीं गया था। पड़ोस में पहले उनसे नाते में ना तो प्रेम था ना ही बैर , लेकिन अपेक्षा की इस उपेक्षा के बाद से एक तरह का बैर सा परिलक्षित था , जैसा मुस्लिम और गैर मुस्लिम के बीच में आम तौर पर मन में होता है।
जी , हाँ - कहानी यह हो सकती थी , लेकिन -नहीं , कहानी ऐसी बनी थी -
बच्ची के कहने पर वह उनके दरवाजे पर गया - बच्ची के बताने पर , बड़ी बहन जो 12-13 वर्ष की थी , वह सामने आई ,उसने भी यही बताया - साथ ही परेशानी बताई कि संडे होने से उनके डॉक्टर से भी बात नहीं हो रही है . इसी बीच पीड़ा में के कारण ,संकोच से उबर कर , उनकी माँ आई , उनके चेहरे पर वेदना स्पष्ट थी . उसने महिला से तकलीफ का ब्यौरा लिया फिर - अपने डॉक्टर से मोबाइल पर बात की उन्होंने कहा आधे घंटे में पेशेंट को लेकर आ सकें तो वे जाँच कर लेंगें , नहीं तो बाद में उन्हें बाहर जाना है . उन्हें तैयार होने के लिए उसने कहा फिर 10 मिनट बाद वह अपनी कार में महिला और उनकी बड़ी बेटी को लेकर डॉक्टर के यहाँ गया। उन्होंने जाँच के बाद एक दिन की दवायें लिखी - एक इंजेक्शन लगाया और दूसरेदिन के लिए कुछ इन्वेस्टीगेशन /टेस्ट के लिए बताया। लगभग डेढ़ घंटे के वक्त में उस परिवार की चिताओं और परेशानी का हल निकाल उसे संतोष अनुभव हुआ। दूसरे दिन महिला के हस्बैंड आ गए थे , फिर उसे कोई और मदद करने की जरूरत नहीं पड़ी।
संडे के दिन के उन डेढ़ घंटे का प्रयोग उससे बेहतर कोई और नहीं हो सकता था। पड़ोस में रहते हुए पहले उनसे नाते में ना तो प्रेम था ना ही बैर था लेकिन - मदद के उस कार्य ने उनके परिवार में एक प्रेम और विश्वास के रिश्ते की बुनियाद रख दी थी .दुनिया में मानवीय जीवन दृष्टि से ,मुस्लिम और गैर मुस्लिम में जिस बात की बहुत जरूरत है - जिससे अमन -चैन स्थापित किया जा सके उस दिशा में उसने कदम बढ़ाये थे .
--राजेश जैन
25-05-2017

No comments:

Post a Comment