Tuesday, May 30, 2017

स्वयं जियो - उसे भी तुम जी लेने दो ना ...

स्वयं जियो - उसे भी तुम जी लेने दो ना
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हवा नहीं 'गैर मुस्लिम-मुस्लिम' उसे लेते छोड़ते
यही भेद क्यों करते रहते हो???
जल नहीं होता 'पुरुष-नारी' ,उसे पी पी कर
यह भेद क्यों करते रहते हो????
जीवन मिला तुम्हें मनुष्य का तो
मानवता से क्यों नहीं रहते हो????
धरती पर नहीं कोई भेदभाव लकीरें
खींचकर तुम ,क्यों देश-विदेश इसे करते हो???
पैसे -रूप के तुम्हारे किस्से छूट सब जाते यहीं पर
क्यों फिर किसी को हीन देखते हो???
औरों के दिल को समझने की फुरसत मिलती तुम्हें तो
अरमान समान दिख जाते उनके भी
जन्म और मृत्यु के एकसे लक्षण फिर भी
धर्म तेरा-मेरा करते रहते हो???
स्वयं जियो - उसे भी तुम जी लेने दो ना
तुमसा ही जीवन उसे भी मिला है
--राजेश जैन
31-05-2017

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