"कई अनजानी नारियों से मिलता एक पुरुष
नित दुनिया की जानी अनजानी राहों पर
वह मदद को हाथ बढ़ाता ,कष्ट में देख उन्हें
फिर मिलते वे अंजान से अनजानी राहों पर "
सहायता कर देने के बाद वह पुरुष , नारी से फेसबुक आईडी की जानकारी लेकर ,उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है। नारी उसे एक्सेप्ट नहीं करती। बाद के दिनों में वे आपस में अंजान से ही मार्ग में मिलते हैं। वह पुरुष नहीं पूछता कि अब उदासीनता की वजह क्या है. "यह पुरुष की सज्जनता और नारी की समाज सम्मत मर्यादा है। " . अगर पुरुष नजदीकियाँ बढ़ाने की जिद से नारी के पीछे पड़ता है तो मदद वाले दिन उसकी मदद ,स्वार्थ अपेक्षा से की गई मदद कहलायेगी । तब उसकी मदद को हम परोपकार नहीं कह सकते। वास्तव में परोपकार कम होने और स्वार्थ प्रवृत्ति के बढ़ जाने से ही आज , नारी-पुरुष में सब कुछ ठीक नहीं रह गया है।
--राजेश जैन
04-05-2016
https://www.facebook.com/narichetnasamman
नित दुनिया की जानी अनजानी राहों पर
वह मदद को हाथ बढ़ाता ,कष्ट में देख उन्हें
फिर मिलते वे अंजान से अनजानी राहों पर "
सहायता कर देने के बाद वह पुरुष , नारी से फेसबुक आईडी की जानकारी लेकर ,उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता है। नारी उसे एक्सेप्ट नहीं करती। बाद के दिनों में वे आपस में अंजान से ही मार्ग में मिलते हैं। वह पुरुष नहीं पूछता कि अब उदासीनता की वजह क्या है. "यह पुरुष की सज्जनता और नारी की समाज सम्मत मर्यादा है। " . अगर पुरुष नजदीकियाँ बढ़ाने की जिद से नारी के पीछे पड़ता है तो मदद वाले दिन उसकी मदद ,स्वार्थ अपेक्षा से की गई मदद कहलायेगी । तब उसकी मदद को हम परोपकार नहीं कह सकते। वास्तव में परोपकार कम होने और स्वार्थ प्रवृत्ति के बढ़ जाने से ही आज , नारी-पुरुष में सब कुछ ठीक नहीं रह गया है।
--राजेश जैन
04-05-2016
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