क्यों ,किसने उसे 'राधे माँ' बनने उकसाया ?
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नारी अनेक ,आज प्रतिष्ठा अर्जित कर रहीं
किन्तु कुछ भटकाई गईं ,बदनामी सह रहीं
व्यंग , उपहास एवं तीखे लाँछनों के तीरों से
जीवन से बड़े अभिशाप सहने विवश हो रहीं
भूल अनेक कर पुरुष निर्लज्जता से जी लेता है
कोई भूल हुई नारी से ,अनदेखी ना कर पाता है
नारी की भूलों में पुरुष पीछे और साथ होता है
भूल सच्चाई को ,दोषारोपण नारी पर करता है
पुरुषों निर्मित कुछ मर्यादायें ऐसी हैं समाज में
अपनी बुराइयों में कई तर्कों से बच निकलता है
उसे जीवन भर साथ को चाहिए ,समर्पिता नारी
कृतघ्न हो ,उस कोमल नारी पर क्रूरता करता है
क्यों ,किसने उसे 'राधे माँ' बनने उकसाया ?
इन्द्राणी के मन में ,यों धन मोह क्यों समाया ?
दोष ,चलन व भ्रमित करने वालों के हम ढूँढेंगे ?
या लीपापोती कर इन पर, दूध के धुले बने रहेंगे ?
--राजेश जैन
10-09-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman
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