Thursday, September 10, 2015

परिवार

परिवार
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चंचल हृदय लिए विवाहित , ज़माने में निकलते हैं
अपनी ब्याहता के ह्रदय में , वे कु-शंकायें छोड़ते हैं

एकतरफ तो पत्नी से वे ,सुशील आचरण चाहते हैं
दूजी ओर , औरों की पत्नी का शीलाचार डिगाते हैं

छोड़ा यदि शीलाचार ,हमने तो सुख-शांति न बचेगी
व्यभिचार में लिप्तता ,परस्पर विश्वास नष्ट करेगी
हम मनुष्य सभ्य हुए हैं जानवर जैसे नहीं रह सकते
सुखद समाज वातावरण की सदैव हमें जरूरत रहेगी

त्याग ,प्रेम ,करुणा विश्वास से परिवार चला करते हैं
माँ ,बहन ,बेटी पत्नी प्रति दायित्व हमारे जुड़े रहते हैं
अपने परिवार ,अपनी नारियों से जो प्रत्याशा हैं हमारे
पराई नारियों प्रति सम्मान से सुनिश्चित रहा करती हैं
--राजेश जैन
11-09-2015
https://www.facebook.com/narichetnasamman

 

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