Thursday, April 24, 2014

जीवन में कुछ कर गुजरना है तो स्वस्थ होना अनिवार्य है


जीवन में कुछ कर गुजरना है तो स्वस्थ होना अनिवार्य है
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हम सभी देखते हैं , हमारे कुछ परिचितों को अप्रिय "हार्ट अटैक" रोग का सामना करना पड जाता है.  जीवन शैली और हमारे भोज्य पदार्थों  में कुछ इस तरह का परिवर्तन आया है. जिसमें यह खतरा हम सभी पर मंडरा रहा है.

रोकथाम के लिए हमारा भोज्य पदार्थ पौष्टिक , गुणकारी और "ऑर्गनिक " हो यह आवश्यक है ही.  साथ ही वर्क आउट के लिए प्रतिदिन आधा -एक घंटा दिया जाए यह भी उतना ही आवश्यक है.

यह देखा गया है , हार्ट सम्बन्धी समस्या उत्पन्न होने के बाद , पीड़ित व्यक्ति सुबह ,शाम भ्रमण ( walk) करता दिखाई देने लगता है.  यही जीवन शैली जब कोई 35 -40 का होता है तब ही आरम्भ कर दे तो हार्ट अटैक और कुछ अन्य तरह के घातक रोगों के खतरे 80 % तक कम हो जाते हैं.  या खतरा काफी हद तक विलम्बित  हो जाता है.

इसे इस तरह समझें , कोई व्यक्ति 44 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक का सामना करता है , जो किसी तरह का वर्क आउट ( व्यायाम ) या वॉक ( भ्रमण ) नहीं करता रहा था.  अब समय को 9 वर्ष घटा कर यदि उसकी वय 35 वर्ष पर ले आयें (वैसे ,संभव नहीं होता है ) .  इस उम्र से प्रतिदिन वह 50 मिनट की मॉर्निंग वॉक  करने लगता है तो 44 वर्ष की उम्र वह बिना रोग झेले पार करता है और उसे जीवन में हार्ट अटैक कभी होता ही नहीं या फिर होता है तो भी 65 के बाद होता है.

स्पष्ट है की स्व-प्रेरणा से यह अच्छा कार्य हमें करना चाहिए , किन्तु यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो कम से कम अपने उस हितैषी की सलाह हमें अवश्य मान लेनी चाहिए , जो ऐसा करने की निःस्वार्थ प्रेरणा हमें देता है.

"पुरुषों पर विशेषकर ,ह्रदय रोगों की ज्यादा आशंका होती है, अतः 35-40 के होने पर स्वस्थ जीवन शैली हमें अवश्य अपना लेनी चाहिए. स्मोकिंग करते हों तो छोड़ें , जंक फ़ूड के स्थान पर घर रसोई से तैयार सामग्री भोजन में लें और प्रतिदिन कम से कम 50 मिनट का भ्रमण करें . जो इस आयु के बीतने पर भी ऐसा नहीं कर सके हैं उन्हें तुरंत ही ऐसा करना आरम्भ करना चाहिए ( देर आये दुरुस्त आये की तर्ज पर )

इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढाई में और प्रोफेशन में एक इंग्लिश उक्ति हमेशा कही -सुनी जाती है "प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर " ("Prevention is better than Cure ").

जबलपुर में रिज रोड भ्रमण के लिए आदर्श स्थल है . लेखक की भाँति यहाँ भ्रमण अपनी दिनचर्या में सम्मिलित अवश्य करें .और संभव नहीं है तो जहाँ करना  पसंद ,सुविधाजनक हो वहाँ करें. किन्तु प्रातः भ्रमण अवश्य करें

मनुष्य जीवन समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ है , इस में हम यदि कुछ कर गुजरने की महत्वाकांक्षा रखते हैं तो यह हमारे सामर्थ्य और मानवीय उत्तरदायित्वों के अनुरूप ही है . इसलिए अपने जीवन को निरोगी और दीर्घ रखने के उपाय हमें अवश्य ही करने चाहिए . तभी हम कुछ कर गुजरकर ही दुनिया से गुजरेंगे . अन्यथा कर गुजरने के लिए मिले कम समय के कारण मानवता प्रति अर्जित हमारी उपलब्धियों में भी कसर बाकि होगी , जबकि जीवन बाकि ना होगा .

राजेश जैन
24-04-2014
 

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