Friday, January 10, 2014

डॉ. , हॉस्पिटल और उत्कृष्ट भावना ऐसी भी

डॉ. , हॉस्पिटल और उत्कृष्ट भावना ऐसी भी
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जबलपुर में नेत्र अस्पताल में अपने पिताजी को दिखाने ले गया. रजिस्टर्ड करवाने के बाद फीस जमा करने के लिए पूछताछ की , उत्तर मिला बाबूजी की उम्र 60 वर्ष से अधिक है इसलिये कोई परामर्श शुल्क नहीं लगेगा .

चार स्टेज में विभिन्न परीक्षण किये गए , काउंसलिंग भी मिली , लगभग 3 घंटे में प्रक्रिया पूरी हुई , बीच बीच में कॉफी भी दी गई  . इस अवधि में डॉक्टर्स और सारे स्टाफ के व्यवहार और बोलचाल में आत्मीयता युक्त माधुर्य भी (ही ) मिला  .

अस्पताल में 3 घंटे की अवधि में पचास प्रतिशत से ज्यादा रोगी 60 वर्ष से अधिक देखने मिले , अर्थात यदि वे सिर्फ विज़न जाँच करा के चश्मे का नम्बर प्राप्त करें और अस्पताल में चश्मा ना बनवायें (अस्पताल द्वारा ऐसी कोई बाध्यता नहीं ) या किसी तरह का ऑपरेशन ना कराएं ( जिसकी हर किसी को आवश्यकता नहीं होती ) तो पचास प्रतिशत रोगियों का उपचार बेहद स्वच्छ वातावरण में और सम्पूर्ण शालीन और मृदुता के साथ निशुल्क किया जाना मेडिकल प्रोफेशन की भावना की परिपूर्णता है  . धन के पीछे भागती दुनिया के लिए अनुकरणीय और विचारणीय मिसाल है , इस अस्पताल में एक स्थान पर यह भी पढ़ा डॉ. की स्पष्टीकरण " यह हमारा दुर्भाग्य है हमारी आजीविका आप के कष्टों (रोगों ) से चलती है " .

किसी  भी डॉ. के अपराधबोध का न्याय पूर्ण प्रतिदान है रोगियों और उनके परिजनों के लिए .वास्तव में जीवन सहज और रक्षा कर कोई डॉ  . लगभग ईश्वर सा होता है किसी रोगी के लिए जिसमें धन अपेक्षा गौड़ कर दी गई हो तो डॉ. एक वरदान हो जाता है .

इस अस्पताल की पहल अनुकरणीय और वंदनीय है . आयुर्वेद औषधालयों में तो ऐसे भाव और सेवा देखी जाती थी, लेकिन कम से कम भारत में एलोपैथी पध्दति के अस्पतालों के लिए यह, कुछ नवीन सा या कहें कम देखा जाने वाला उत्कृष्ट उदाहरण है .

--राजेश जैन
10 -01 -2013

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