Friday, August 31, 2012

सर्वकालिक महान

अभिनेता



                                     एक अभिनेता जब कुछ वर्षों में सिनेमा में सक्रिय और सफल रहते बहुत धन और प्रसिध्दी बटोर चुका , तब एक रात उसे विचार कौंधा क्यों ना मै सर्वकालिक महान बनने के लिए कुछ करूँ ? ऐसे विचार के साथ अगली सुबह वह अपने गुरु के पास पहुंचा. उनसे इस हेतु क्या करना चाहिए पूँछा   . उन्होंने  कहा आज के समाज में बहुत खराबियां हैं , उन्हें दूर करने के लिए मेहनत करो.   अभिनेता को सूझ मिल गयी थी . वापस आया विचार किया उसके पास लोकप्रियता थी . जहाँ चाहे भीड़ खड़ी  कर सकता था . उसके पास प्रसार तंत्र और उसमें बहुत परिचय था . उसके पास धन था . किन्ही की भी सेवा खरीद सकता था . तुरंत उसने विशेषज्ञों की टीम इकठ्ठी कर ली .
                              विशेषज्ञों ने देश में सर्वे कर डाला . दस-पंद्रह सामाजिक समस्याएँ ला बताई . तुरंत स्क्रिप्ट लिख वाली  गयी . कुछ  विशेषज्ञों का परिचर्चा बना ली गयी .कुछ पीड़ितों के घावों को उनसे उल्लेखित करवा लिया गया . कुछ कर्मठों के संघर्ष और सफलता की कथा चित्रित करवा ली गयी . हॉल  में तथाकथित आधुनिक और विचारकों को दर्शक बना बैठा लिया गया . अभिनेता को संचालक और अध्यक्ष सी कुर्सी दिला दी गयी . कहीं करुणा दर्शाना , कहीं हास्य उत्पन्न करना और कहीं चुटकियाँ लेते डायलाग्स उनके लिए लिख दिए गए  .इस तरह सब सम्पादित करते हुए कुछ दूरदर्शन धारावाहिक साप्ताहिक प्रसारण को तैयार कर लिए गए . विज्ञापनों के माध्यम से पहले से ही दर्शकों में जिज्ञासा उत्पन्न करवा ली गयी . ये सब अभिनेता के लिए आसान ही था . नियत दिनों में बारी बारी साप्ताहिक एक एक प्रसारित किये गए.
                                    हम सभी में (चिकित्सक ,कृषक ,पुरुष और नारी के प्रति अत्याचारी की बुराई ) उन्होंने देखी /दिखलाई .और व्यस्त इस समाज से खूब प्रशंसा बटोर ली . व्यस्तता वश हम विचार नहीं कर पाते थे कि जो बुराइयाँ चित्रित कीं गयीं उसकी जड़ कहाँ हैं . सतही इस प्रदर्शन के सतही समाधान में हम सबने सहमती जतला दी .
                                     बुद्धिजीवी वर्ग को जिस विषय के प्रसारण  की उनसे आशा थी उसके प्रसारण के बिना धारावाहिक समाप्त हो गया था. बुद्धिजीवी ठगा सा प्रतीक्षारत रह  गया था . अभिनेता ने और उनके विशेषज्ञों ने हमारी बुराइयाँ देख ली थी . हमें ही उसपर हंसवा लिया था ,धिक्कार दिलवा दिया था . लेकिन जब आशा यह थी की अस्सी साल के सिनेमा ने क्या बुराई लाई उसपर कोई प्रदर्शन आएगा , वह नहीं आया अभिनेता अपने गिरेबान में झांक ने में असमर्थ रहा था .
                                 वह सिनेमा और (सिने कर्मी ) जिसने  सारी प्रसिध्दी अपनी और खींच ली थी , जिन्होंने   सच्चे नायकों (सच्चे गुरु, सच्चे धर्मगुरु , उच्च  विचारक , महान वैज्ञानिक , महान साहित्यकारों इत्यादि ) के अनुशरण करने वालों को उनसे दूर अपनी छद्मता की ओर   आकर्षित कर लिया था . और इस स्थिति में आकर प्रचार और सिने माध्यम के उपयोग से अपसंस्कृति के विष से सामान्य व्यक्ति के ह्रदय पर छिडकाव किया था .जिससे देश की उर्वरा शक्ति बुरी तरह प्रभावित हो गयी और सच्चे नायकों की उत्पत्ति को बाधक बन गयी .  हर ह्रदय का सपना आलीशान बंगला , चमचमाती कार और आकर्षक लिबास और अथाह वैभव होने लगे थे . फिर यह गौड़ था कि इसके लिए किस तरह से धनार्जन उचित था . ग्राम का युवा ग्राम छोड़ महानगरों के तरफ भागने लगा था . ग्रामीण जन घनत्व घट  गया था . देश में पतिव्रता , और एक जीवनसंगिनी का आदर्श प्रश्न चिन्हित हो गया था . नारी शोषण   धारावाहिक के माध्यम से कुछ और कारणों पर आरोपित था , पर सिने परदे और उसके पीछे नारी शोषण को बढ़ावा देते कारण उनके इस धारावाहिक में लाये जा सकते थे . जो दूरदर्शन पर छिपा लिए गए थे . कहा जाता है दिन में इन्सान और रात्रि में शैतान जागता है . सिने देर रात्रि पार्टियों ने देश की जल्दी सोने और सुबह जल्दी जागने की संस्कृति की बलि ले ली थी . रात्रि पार्टियाँ चलन बन गया . जहाँ कब किसी की किस तरह की नियत डोल जाये कहना आसान  ना था .
                             वे महान बनने में विफल हो गए थे .वे अच्छा अभिनय जानते थे ,उन्होंने महान का अच्छा  
अभिनय कर  दिखा दिया था वे अभिनेता  थे ,  जो ही सिध्द  हो सका था        

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