रात्रि में ना जाने कब उसी अभिनेता की
अनियंत्रित गाड़ी की चपेट में आ गया . उसका सपना थोड़े अंतर से साकार हो गया
.गाड़ी के अन्दर अभिनेता का तो नहीं गाड़ी के चकों का साथ मिला .गति इतनी
ज्यादा उसे मिली कि एक लोक से दूसरे लोक की अनंत दूरी कुछ ही क्षणों में तय
हो गयी . अभिनेता पर प्रकरण दर्ज हुआ प्रथम द्रष्टया अपराध लगता प्रकरण
वकील की इस दलील से कि अभिनेता की गाड़ी की चपेट में आने से वह स्वर्ग वासी
हो गया , न्यायाधीश को अपराध न लगा उसे लगा की फुटपाथ के नरक से स्वर्ग
वासी होना गति सुधरना है .फिर भी न्यायाधीश मजबूर था संविधान की धाराओं से
बंधा था . अभिनेता को पांच हजार रूपये दंड सुनाया गया . लापरवाही से कार
चलाने के लिए . स्वप्न और न्याय इस तरह साकार हो जाते हैं ............
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