Friday, August 31, 2012

स्वप्न और न्याय का साकार होना

स्वप्न और न्याय का साकार होना


                                एक दूरस्थ ग्राम में रहते कृषक पुत्र ने किशोर वय में एक अभिनेता की फिल्म देख इस तरह दीवाना हुआ कि इस ख्याल से कि उसके यहाँ माली का कार्य कर लूँगा ग्राम छोड़ा और मुंबई आ पहुंचा .अभिनेता के यहाँ कड़ी चौकसी से वह कई दिनों घूमता रहने पर भी बंगले में झांक तक न सका .फुटपाथ पर पुड़ी भाजी की दूकान पर किसी तरह नौकरी करता वहीँ  पेट भर लेता और जो कुछ नगद हासिल होता उससे उसी अभिनेता की फ़िल्में कई कई बार देखता .अलग अलग मौसम के अनुसार कभी फुटपाथ तो कभी उसी दूकान और कभी अन्यत्र नींद आने पर सो जाता . दिन व्यतीत हो रहे थे . एक रात्रि दूसरा शो देख कर सिनेमा घर से बाहर आ अभिनेता की चमचमाती गाडी में साथ बैठ उसके साथ तेज गति से लम्बी ड्राइव पर जाने के सपने के साथ गर्मी का मौसम होने से...एक फूटपाथ पर जा लेटा.

                            रात्रि में ना जाने कब उसी अभिनेता की अनियंत्रित गाड़ी की चपेट में आ गया . उसका सपना थोड़े अंतर से साकार हो गया .गाड़ी के अन्दर अभिनेता का तो नहीं गाड़ी के चकों का साथ मिला .गति इतनी ज्यादा उसे मिली कि एक लोक से दूसरे लोक की अनंत दूरी कुछ ही क्षणों में तय हो गयी . अभिनेता पर प्रकरण दर्ज हुआ प्रथम द्रष्टया अपराध लगता प्रकरण वकील की इस दलील से कि अभिनेता की गाड़ी की चपेट में आने से वह स्वर्ग वासी हो गया , न्यायाधीश को अपराध न लगा उसे लगा की फुटपाथ के नरक से स्वर्ग वासी होना गति सुधरना है .फिर भी न्यायाधीश मजबूर था संविधान की धाराओं से बंधा था . अभिनेता को पांच हजार रूपये दंड सुनाया गया . लापरवाही से कार चलाने के लिए . स्वप्न और न्याय इस तरह साकार हो जाते हैं ............

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