आदर्श ..
रिश्ता धीरे धीरे खत्म हो रहा था
मुझे पता भी था
मगर अजीब था मेरा आशावाद
नया कोई आदर्श रिश्ता मिल जाएगा
काश! रिश्ता बचा लिया होता
आदर्श वही बन जाता
बना बनाया कोई आदर्श नहीं मिलता
यह उसी रिश्ते के रहते मैं समझ पाता
अब ना मेरा वह रिश्ता रहा
ना कोई मुझे आदर्श मिला
ठोकर खा के गिरने से सिर्फ
आहत स्वाभिमान मेरा बचा
--राजेश चंद्रानी मदनलाल जैन
24-10-2020
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