Friday, October 6, 2017

यूँ गूँजती जैसे झरने ...

यूँ गूँजती जैसे झरने ...
पचास वर्ष पहले एक परिवार में सुंदर एक बालक का जन्म हुआ - बड़े लाड़-दुलार से लालन-पालन हुआ उसका - उससे अरमान माँ-पिता का यह कि अच्छे कार्यों से वह अपने कुल-परिवार और उनका नाम रोशन करेगा।
इसी तरह छत्तीस वर्ष पहले एक सुंदर कन्या का जन्म अन्य परिवार में हुआ - बचपन में जब हँसती वह तो लगता - सुंदर पुष्प झर रहे हैं। उसके नन्हें पैरों में पाजेब , घर आँगन में यूँ गूँजती जैसे झरने के बहते जल से मधुर संगीत उत्पन्न हो रहा है। माँ -पिता ने इस सपने में बड़ा किया कि सीता सा चरित्र लेकर - इस तरह बड़ी होगी जो उनका ही नाम नहीं बल्कि जिस परिवार में बहू होगी उनका भी नाम करेगी।
परिवार के ऐसे सपनों में पले-बड़े , बच्चे - जब बड़े हुए तो उनसे अपेक्षित कर्म -आचरण और व्यवहार के विपरीत वे व्यभिचार की मिसाल बन गए।
समय उन पर घृणा - तानों और निंदा की बरसा करने का नहीं। यह समय है कि उन कारणों , उन परिस्थितियों , उस जहरीले वातावरण से हम अपने घर में पल रहे बच्चों का बचाव करें , जिनमें हमारा पाल्य जब युवा और बड़ा हो तो - कलंक के गर्त में पहुँचाने वाली ग्लैमर की चकाचौंध से बच सके। अपने पुरुषार्थ वह परिवार - समाज और राष्ट्र बनाने के लिए लगाये।
अन्यथा आज की दूसरे पर हमारी निंदा - कल हम पर ही वापिस न आये।
--राजेश जैन
https://www.facebook.com/narichetnasamman
07-10-2017

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