Saturday, October 7, 2017

आधा जब तक सुखी नहीं - पूरा सुखी कैसे होगा???

आधा जब तक सुखी नहीं - पूरा सुखी कैसे होगा???
आज पर्व है - जिसमें अनेक , पत्नी अपने पति के दीर्घ जीवन और अगले जन्मों में भी उनके साथ के लिए व्रत करेंगीं। स्पष्ट है कि यह पर्व नारी द्वारा - पुरुष के सुखद जीवन की कामना , उसके आदर हेतु रखा जाता है। जब नारी के तरफ से ऐसा हमेशा से होता आया है तो पुरुष कर्तव्य होता है कि वह नारी पक्ष की भी सोचे - उनके मन को समझे - उनके सम्मान की फ़िक्र और उपाय करे। निम्न कुछ तथ्यों पर विचार करे.
1. पुरुष जाये अथवा नहीं - कम से कम प्रसव हेतु , नारी को अस्पताल में एडमिट होना होता ही है , अर्थात जीवन -मौत के प्रश्न का सामना युवावस्था में ही करना होता है।
2. पुरुष के हों अथवा नहीं हों -लेकिन नारी के प्राण - अपने पति और बच्चे में होते ही हैं।
3. नारी पर जीवन बचाने की समस्या जन्म के पहले से ही खड़ी हो जाती है ,भ्रूण कन्या है तो हत्या संभावित , दहेज के प्रश्न पर हत्या संभावित , परिवार के मान के प्रश्न पर हत्या संभावित , पूरे जीवन भर , उनके जीवन पर , समाज प्रदत्त आशंकायें।
4. नारी- कहीं देवदासी होने को , कहीं सती होने को , कहीं एक पति की अनेक पत्नियों में से एक होने को , कहीं ग्रह हिंसा के शिकार तथा कहीं काम-वासना की शिकार हो समाज सम्मान गँवाने को बाध्य - यह भी हैं नारी जीवन की विवशतायें।
5. नारी पर समाज में बिगड़े होने के सारे दोष सरलता से मढ़ दिए जाते हैं , जबकि यदि पुरुष नहीं बिगड़ता तो नारी बिगड़ नहीं सकती थी , इस तथ्य को सरलता से भुला दिया जाता है।
इन सारी बातों के कारण नारी जो कि समाज का आधा हिस्सा है , वह सुखी नहीं रह पाती है।  विचार कीजिये - आधा समाज जब तक सुखी नहीं - पूरा समाज सुखी कैसे होगा??? परिवार में पुरुष और नारी साथ पिरोये हुए हैं - अतः जिस परिवार में नारी सुखी नहीं वह परिवार कदापि सुखी नहीं हो सकता।
-- राजेश जैन
08-10-2017
https://www.facebook.com/narichetnasamman/
 

No comments:

Post a Comment