Thursday, November 2, 2017

आफरीन की बेटियाँ ..

आफरीन की बेटियाँ ..
यह दर्दनाक यथार्थ आफरीन का है , जिसके पति ने बिहार से जम्मू के बीच ट्रेन सफर में , एक के बाद एक 4 बेटियों को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया , एक को किसी तरह आफरीन ने फेंकने से बचाया। फेंकी गई चार में से दो बेटियाँ मर गईं , दो अस्पताल में हैं। इन मासूमों को मार देने का कारण (प्रयास) , उनकी शादी कर पाने में आर्थिक कठिनाई होगी , यह अंदेशा होना बताया गया है।
बार बार इस तरह के दर्दनाक कृत्य जब अंजाम दिए जा रहे हैं , तब नारी में यह चेतना लाया जाना प्रासंगिक होता है कि वे आत्मविश्वास और दृढ़ता से अपने पतियों को ज्यादा औलाद के लिए मना कर सकें. वे बताएं कि छह छह औलाद का प्रसव उनकी शक्ति नहीं। अगर शक्ति है भी तो ये कहें कि इतनी औलादों की जरूरत पूरी करने की आर्थिक हैसियत उनकी नहीं।
यह तथ्य नारी को समझने की जरूरत है कि ज्यादा औलादें न सिर्फ उन पर शारीरिक कष्ट का कारण होता है बल्कि वह मानसिक वेदना का भी सबब होता है। अपनी औलादों को भोजन - वस्त्र ,शिक्षा और अन्य बातों के लिए लालायित होना और उनका मन मसोस होते देखना भला किस माँ के लिए पीड़ादायी न होगा ??
बच्चों को गर्भ या जन्म में मारना अपराध ही नहीं अमानवीय तो है ही , वहीं ज्यादा बच्चे न करना प्रगतिशीलता है। आज जब नारी प्रगतिशील होना चाहती है तो परिवार की खुशहाली के उनमें यह चेतना और दृढ़ता जरूरी है।
-- राजेश जैन
03-11-2017
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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