Sunday, March 13, 2016

नारी स्वाभिमान के लिए कार्य

नारी स्वाभिमान के लिए कार्य
2040 में एक दिन तेईस वर्षीय सुदृढ़ को 12 मार्च 2016 की "नारी चेतना और सम्मान रक्षा " एफबी पेज की काव्यात्मक कहानी पढ़ने मिली। उसे ऐसी संभावना प्रतीत हुई की वह स्वयं वह पति तो नहीं जो उस कहानी में पति की आत्मा बताई गई थी। उसे ऐसा लगा की मरने के बाद पत्नी आत्मा का यह व्यंग बाण उसके हृदय में भिद गया -
                                             " मुझे तो रहा असम्मान का अभ्यास ,पर
                                              प्रिय ,पुरुष होकर तुम्हें अभ्यास कहाँ रहा "        
जिसके कारण वह इस जन्म में हर नारी के सम्मान को संकल्पित रहा। उसने कॉलेज में और अब ऑफिस में उसने ,अपने साथ की अनेक लड़कियों युवतियों को ,लड़कों की समान व्यवहार करते पाया , वे साथ स्मोक कर रही थीं , साथ ड्रिंक्स ले रहीं थीं , संबंधों में भी खुले विचार की थीं। वह देख रहा था , युवाओं के विवाह कई कई बार टूट जुड़ रहे हैं। 'नारी ने पुरुष की बुराइयों में समानता की' सुदृढ़ को इनसे असहमति तो थी ही उसके मन में प्रश्न उठता , क्यों नारी ने अपनी पूर्व अच्छाइयों के समान बनने के लिए ,पुरुष को प्रेरित करने का विकल्प नहीं चुना ? कुछ ही नारी वह समानता हासिल करने का प्रयास कर रहीं थीं , जो कुछ पुरुषों में है , 'पीढ़ी को सच्चा नेतृत्व और दिशा देने का'। सुदृढ़ ,तब भी सभी नारियों का आदर करता था। उसे लगता नारी में सच्ची चेतना का संचार नहीं हो स्का है।
उसे उपरोक्त स्टोरी के पढ़ने के बाद लगा कि अगर यह कहानी उसकी ही है तो , निश्चित ही उसकी पत्नी ने भी इस भावना के कारण नारी जन्म ही पाया होगा -
                                             "न बना सके समाज कि एक दृष्टि से देखे जायें
                                              अतः चाहती कि हम इसी रूप में वापिस आयें "
और इसलिए उसने तय किया कि अब वह इस नारी "गरिमा" की तलाश करेगा और विवाह कर आजीवन निभाएगा और इस जन्म में नारी स्वाभिमान के लिए दोनों मिलकर नारी जीवन को नई ऊँचाइयाँ देने के लिए साथ कार्य करेंगे.
--राजेश जैन  
14-03-2016
https://www.facebook.com/narichetnasamman

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