माना मैंने कि
साहित्य पढ़ना अब हुआ है ओल्ड फैशन
फिर भी उचित नहीं कि
लेखनी दायित्व भूल जाए
लौट के सब जाते हैं
हमारा लौटना भी अजब नहीं
ना समझ सके जिसे, लौटती बेला में
उसे समझ जाना भी बुरा नहीं
कहना उन्हें भाग्यशाली यूँ उचित नहीं कि
कुछ तो किया होगा जो सफलता उन्हें मिली
मानना खुद को दुर्भाग्यशाली भी है अनुचित कि
करने में धैर्य रखा तो सफलता हमारी भी होगी
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