Saturday, January 23, 2021

माना मैंने कि

साहित्य पढ़ना अब हुआ है ओल्ड फैशन

फिर भी उचित नहीं कि

लेखनी दायित्व भूल जाए


लौट के सब जाते हैं
हमारा लौटना भी अजब नहीं
ना समझ सके जिसे, लौटती बेला में
उसे समझ जाना भी बुरा नहीं

कहना उन्हें भाग्यशाली यूँ उचित नहीं कि कुछ तो किया होगा जो सफलता उन्हें मिली मानना खुद को दुर्भाग्यशाली भी है अनुचित कि करने में धैर्य रखा तो सफलता हमारी भी होगी
Rajshri Shukla

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