Saturday, July 1, 2017

हीनताबोध


हीनताबोध
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बीस वर्ष लगे थे , रोहित के हीनताबोध को मिटने में। दरअसल , नीता के पिता ने अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण ज्यादा गुणी ,सुंदर और बेहद प्रतिभाशाली बेटी का ब्याह , रोहित से किया था। रोहित को इस वास्तविकता का बोध , आरंभ से ही रहा। उसने इस फर्क को सही परिप्रेक्ष्य में लेकर - अपने दाम्पत्य जीवन में यह फ़िक्र, विचार और व्यवहार हमेशा रखा ताकि किसी समय नीता को उससे विवाह कर लेने से दुःख अनुभव नहीं हो। रोहित ने - परिवार , बच्चों के साथ नीता की जरूरतों , इक्छाओं को सदैव गंभीरता और सम्मान दिया। जब नीता ने स्वयं का व्यवसाय करना चाहा तो अनुमति दी , और उसे होने वाली कठिनाइयों के अवसरों पर उसका आत्मविश्वास बढ़ाता रहा।
आज नीता , फोन पर अपनी फ्रेंड की किसी बात पर यह कहती सुनाई पड़ी , दीपा मैं तो बेहद भाग्यशाली हूँ , कि मुझे रोहित जैसे सुलझे व्यक्तित्व के धनी हस्बैंड मिले।
--राजेश जैन
02-07-2017
https://www.facebook.com/narichetnasamman/

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